Haryana

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने यूएचबीवीएन को उपभोक्ता को 5,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया 💡💰

Haryana Darshan: हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने पानीपत में उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) को निर्देश दिया है कि वह उपभोक्ता श्रीमती बिमला को निगम द्वारा औसत बिल बनाने के कारण हुई अनावश्यक देरी के लिए 5,000 रुपये का मुआवजा दे। यह मामला उपभोक्ता की शिकायत के बाद सामने आया, जिसमें उन्होंने अपनी बिजली बिलिंग के संबंध में उचित सेवा की मांग की थी।

क्या था मामला? ⚡

श्रीमती बिमला ने मई 2024 तक नियमित रूप से अपने बिलों का भुगतान किया था, लेकिन यूएचबीवीएन द्वारा उनके बिजली मीटर की औसत बिलिंग को लेकर उन्हें परेशान किया जा रहा था। उनका आरोप था कि निगम द्वारा सात दिनों के भीतर उनका समस्या समाधान नहीं किया गया, जिसके कारण उन्हें काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, उपभोक्ता को जुलाई 2023 से जुलाई 2024 तक औसत बिल भेजे गए, जबकि उन्होंने नियमित रूप से भुगतान किया था।

आयोग ने किस तरह से लिया एक्शन? ⚖️

श्रीमती बिमला की शिकायत के बाद, आयोग ने मामले की गहन जांच की और पाया कि यूएचबीवीएन अधिकारियों की उदासीनता के कारण उपभोक्ता को परेशानी का सामना करना पड़ा। आयोग के प्रवक्ता के अनुसार, यह स्पष्ट हुआ कि निगम ने तय समय सीमा के भीतर सेवा प्रदान नहीं की और उपभोक्ता को गलत तरीके से औसत बिल जारी किए, जिससे उन्हें मानसिक और आर्थिक परेशानी हुई।

इसके बाद, आयोग ने यूएचबीवीएन को निर्देश दिया कि वह श्रीमती बिमला को हुई असुविधा के लिए 5,000 रुपये का मुआवजा दे।

क्या होगा अब? 📝

यूएचबीवीएन को आदेश दिया गया है कि वह उपभोक्ता के खाते में मुआवजा राशि समायोजित करे या फिर सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में राशि ट्रांसफर करे। इसके अलावा, यूएचबीवीएन के एक्सईएन को 10 जनवरी, 2025 तक आयोग को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

श्रीमती बिमला की शिकायत का इतिहास 🗣️

श्रीमती बिमला ने पहले अपनी शिकायत को लेकर प्रथम शिकायत निवारण प्राधिकरण से भी संपर्क किया था, लेकिन एक महीने बाद भी उनका समाधान नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने सेवा का अधिकार आयोग से अपनी शिकायत दर्ज कराई, जिस पर आयोग ने जल्द कार्रवाई की और उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय दिया।

यूएचबीवीएन की उदासीनता पर आयोग का कड़ा रुख 🔍

आयोग ने इस घटना को लेकर यूएचबीवीएन के अधिकारियों की लापरवाही को गंभीरता से लिया और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की। इस मामले में आयोग ने यह भी कहा कि निगम को उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान शीघ्र और प्रभावी तरीके से करना चाहिए ताकि उन्हें इस प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

आयोग के आदेश से उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ 💡

यह निर्णय हरियाणा के उपभोक्ताओं के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इस तरह की कार्रवाई से उन्हें यह भरोसा मिलेगा कि अगर किसी सरकारी सेवा में देरी या लापरवाही होती है, तो उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी।

यूएचबीवीएन के लिए यह क्या संकेत है? ⚠️

यह मामला यूएचबीवीएन और अन्य सार्वजनिक सेवाओं के लिए एक सीख है कि उपभोक्ताओं को शीघ्र और प्रभावी सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए। निगमों को अपने कार्यों में पारदर्शिता लानी चाहिए और उपभोक्ताओं के साथ समर्पित तरीके से पेश आना चाहिए, ताकि ऐसे विवादों से बचा जा सके।

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